जल सर्प बोला-“ पूर्व जन्म में मैं भी एक मुनि का पुत्र था | शाप के कारण मैं इस योनि में आया हूं | अब तुम से बात करने के बाद मेरा शाप भी छूट जाएगा | ” इतना कह वह लुप्त हो गया |
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कदल सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन कविवर रहीम कहते हैं कि कि स्वाति नक्षत्र की वर्षा की बूंदें कदली में प्रवेश कर कपूर बना जाता है, समुद्र की सीपी में जाकर मोती का रूप धारण कर लेता है और वही जल सर्प के मुख में जाकर विष बन जाता है।